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पुस्तक सार : नक्षत्रों का भी एक विचित्र संसार है जिन के साथ अनेको कहानियां, किवदंतियां, धार्मिक/ आध्यात्मिक सोच और ज्ञान के भण्डार जुड़े हैं। नक्षत्र, वैदिक संस्कृति/ ज्योतिष का आधार स्तम्भ हैं। ये हम को विचार स्तर पर प्रभावित करके हमारी कर्म दिशा को नियंत्रण में रखते हैं। नक्षत्र देवताओं का वास हैं जहाँ हमारे पूर्व के कर्म के फल जमा होते रहते हैं। कर्म सिद्धांत या "कारण और फल" के सिद्धांत के अनुसार, सही समय पर नक्षत्र, भूत काल/ पूर्व जन्मों के कर्मों के फल उनमें ग्रहों की चाल के अनुसार बाँटते रहते हैं। हम को अपने नक्षत्र का पता कर उस से अपने को और अपने से संबंधित व्यक्तिओं को सही तरह पहचानने का प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक नक्षत्र की प्रकृति, अधिदेवता, काम करने का ढंग, गुण, तत्व, त्रिदोष, शरीर के भाग, उसका स्वामी, और चरण विलक्षण होते हैं और मुहूर्त, आयु, व्यवसाय, बाज़ार भाव की अटकलें, स्वास्थ्य/ रोग, विवाह/ वैवाहिक जीवन, बच्चे, संबंधों में इनका योगदान और यदि ये पीड़ित या कमजोर हों तो इनको शक्ति देने के उपाय प्रत्येक जातक के लिए अलग ही होते हैं। यह पुस्तक हमको भचक्र के सभी (27/ 28)
नक्षत्रों की यात्रा कराती है। मैं आशा करता हूँ कि यह यात्रा पाठकों को आकर्षक, ज्ञानवर्धक और संतुष्ट करने में सफल होगी।
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- Author: Raj Kumar Lt. Col. (Retd.)
- SKU: DCI-00396
- ISBN: 978-817082174