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भृगु सरल पद्धति
भृगु सरल पद्धति
सात- आठ सालो
में शृखंला बद्ध
तरीको से पैंतीस
तकनीकों का विवेचन
किया है l लेकिन हम
इनका प्रयोग अन्य
विधियों के साथ
मिलाकर करते है
जो स्वयं ही
सम्पूर्ण विधि है
और आप मात्र
एक तकनीक की
सहायता से ही
चौबीस सेकंड में
बारह भविष्यवाणियां कर सकते
है l दक्षता का
मार्ग , कुंजी भाव,
भाव, भाव:, १. शनि
के पूर्व जन्मों
का भाव - कुंडली के
जिस भाव में
शनि स्थित होता
है उससे चौथे
भाव के कम
से कम एक
विषय में उतार
चढ़ाव करता है
l २. गुरु के
पूर्व जन्मों का
भाव- कुंडली में
गुरु जिस स्थान
को ग्रहण करता
है उससे दसवें
और छठे भाव
के कम से
कम एक विषय
में उतार चढ़ाव
करता है l ३. शनि
"मैं कानून हूँ
" प्रणाली - शनि जिस
भाव में उपस्थित होता है उसका
न्यायाधीश अथवा शंहशाह
बन जाता है
और उद्घोष करता
है मैं ही
कानून हूँ l ४. मंगल
और सत्ताईसवाँ वर्ष
- मंगल कुंडली के
जिस भाव में
स्थित होता है
उससे दसवें भाव
को सत्ताइसवें वर्ष
में कार्यन्वित करता
है l ५. केतु
और दवादश भाव
का नियम - चौबीस वर्ष
की आयु में
केतु अपने से
द्वादश स्थान में
अपना प्रभाव डालता
है l भृगु सरल
पद्धति पुस्तक में
इस प्रकार के
कई उदाहरण दिए
- Stock: In Stock
- Author: Saptarishis Astrology
- SKU: DCI-00092
- ISBN: 978-25982150