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About the Book: चन्द्रनाड़ी ज्योतिषशास्त्र की एक अनोखी पद्धति है जो चन्द्रमा की गतिविधियों के आधार परnभविष्यवाणी सूचित करती है। यह शास्त्र- विधान आजकल के ज्योतिषी के लिए अपार ज्ञान भण्डार है, साथ ही बहुत उपयोगी साधन भी। ज्योतिष शास्त्र सदियों से चली आती हुई ऐसी ज्ञान-परंपरा है जिसे समझना आसान नहीं इस शास्त्र को समझने के लिए सूक्ष्मतम परिशीलन तथा गणित की अत्यंत आवश्यकता है। वर्तमान युग तेजी और शीघ्रता का समय है। प्राचीन युग शांति का काल था। वर्तमान युग के शीघ्र कार्यकलापों के बीच लोग हर समस्या का शीघ्र समाधान चाहते हैं। ऐसे समय में ज्योतिषशास्त्र को समझने के लिए कुछ सुलभ और शीघ्र तरीकों की ज़रूरत होती है। आजकल का व्यक्ति ज्योतिषी के पास आकर अपनी समस्याओं का हल तत्काल ही माँगता है जो ज्योतिषी के लिए आसान काम नहीं है। कुछ संदर्भों में ग्राहक दूरवाणी के द्वारा ही अपनी शंकाओं का समाधान तुरंत ही चाहते हैं। ऐसे संदर्भों में ज्योतिषी जल्दबाजी में जवाब दे नहीं पाता और ऐसा करना भी बिलकुल गलत है। इस प्रकार करने से कई दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। ज्योतिषी को अपना काम शास्त्र के अनुसार सोच-समझकर करना ही ठीक है। श्री तिरुपूर एस. गोपालकृष्णन् ने चन्द्रनाड़ी विधान के जरिये ज्योतिषशास्त्र को एक मौलिक और नूतन आयाम दिया है
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- Author: Tirupur S. GopalaKrishnan (GK)
- SKU: DCI-00209
- ISBN: 978--93835060